छूट चुकी हूँ मैं ख़ुद से। छोड़ दिया है ख़ुद को, कहीं किसी बिस्तर पर। बस पाया है अब अपने जिस्म को किसी... छूट चुकी हूँ मैं ख़ुद से। छोड़ दिया है ख़ुद को, कहीं किसी बिस्तर पर। बस पाया है अ...
चलों मान लेती हूँ मेरी ही स्कर्ट छोटी थी पर तुम्हारी नीयत का क्या? चलों मान लेती हूँ मेरी ही स्कर्ट छोटी थी पर तुम्हारी नीयत का क्या?
लक्ष्मी बाई’आज से शुरू इसके अस्तित्व की लड़ाई। लक्ष्मी बाई’आज से शुरू इसके अस्तित्व की लड़ाई।
स्त्री हो किसी रूप में, बिना इनके आदमजात सूना है! स्त्री हो किसी रूप में, बिना इनके आदमजात सूना है!
एक औरत ही औरत की दुश्मन बन जाती है! एक औरत ही औरत की दुश्मन बन जाती है!
समय सज़ा मुकम्मल कर जाता है, कोई मनचला महबूब उसे मंडप से ही उड़ा ले जाता है। समय सज़ा मुकम्मल कर जाता है, कोई मनचला महबूब उसे मंडप से ही उड़ा ले जाता ...